1.02 पेटाबिट्स प्रति सेकेंड की रफ्तार से भेजा डेटा, भारत की औसत स्पीड से 1.6 करोड़ गुना तेज
टेक्नोलॉजी डेस्क –
जापान ने इंटरनेट स्पीड के क्षेत्र में एक बार फिर नया इतिहास रच दिया है। जापान के वैज्ञानिकों ने 1.02 पेटाबिट्स प्रति सेकेंड (1,020,000 गीगाबिट्स प्रति सेकेंड) की अविश्वसनीय डेटा ट्रांसफर स्पीड हासिल कर नया विश्व रिकॉर्ड कायम किया है। इस रफ्तार से नेटफ्लिक्स की पूरी लाइब्रेरी या करीब 10,000 से ज्यादा 4K क्वालिटी की फिल्में महज एक सेकेंड में डाउनलोड की जा सकती हैं। इतना ही नहीं, 150GB का गेम मात्र 3 मिलीसेकंड में डाउनलोड हो जाएगा।
यह स्पीड भारत की मौजूदा औसत इंटरनेट स्पीड—करीब 63.55 Mbps—से लगभग 1.6 करोड़ गुना तेज है। वहीं अमेरिका की औसत स्पीड से भी यह 35 लाख गुना अधिक है।
रिकॉर्ड बनाने वाली टीम और तकनीक
इस रिकॉर्ड को जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी (NICT) और सुमितोमो इलेक्ट्रिक इंडस्ट्रीज के संयुक्त अनुसंधान दल ने मिलकर हासिल किया है। जून 2025 में इस लैब प्रयोग के दौरान, उन्होंने 19-कोर ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए यह स्पीड प्राप्त की।
🔍 क्या है 19-कोर फाइबर टेक्नोलॉजी?
सामान्य फाइबर ऑप्टिक केबल्स में केवल एक कोर होता है, जो डेटा को एक ही रास्ते से भेजता है। लेकिन इस नई तकनीक में 19 अलग-अलग कोर होते हैं, जिससे डेटा को एक साथ 19 “लेनों” से भेजा जा सकता है—बिलकुल जैसे मल्टीलेन हाईवे पर ट्रैफिक तेजी से चलता है।
लंबी दूरी तक बिना रुकावट भेजा गया डेटा
शोधकर्ताओं ने डेटा को लगभग 1,808 किलोमीटर की दूरी तक ट्रांसमिट किया, वह भी बिना किसी स्पीड लॉस के। इसके लिए उन्होंने विशेष प्रकार के एम्प्लिफायर्स (signal amplifiers) का प्रयोग किया, जो सिग्नल को लंबी दूरी तक ताकतवर बनाए रखते हैं।
📡 उदाहरण से समझें:
जब आप लंबी दौड़ लगाते हैं, तो आपकी ऊर्जा धीरे-धीरे घटने लगती है। उसी तरह जब डेटा लाइट की शक्ल में फाइबर केबल के ज़रिए भेजा जाता है, तो उसका सिग्नल कमजोर हो सकता है। एम्प्लिफायर्स उस सिग्नल को दोबारा ‘एनर्जी’ देकर आगे बढ़ाते हैं।
आम यूजर्स तक कब पहुंचेगी ये रफ्तार?
फिलहाल यह स्पीड लैब के नियंत्रित वातावरण में हासिल की गई है और आम लोगों तक पहुंचने में अभी वक्त लगेगा। इसके रास्ते में तीन मुख्य चुनौतियां हैं:
- उच्च लागत – इस तरह की हाई-स्पीड व्यवस्था के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी।
- मौजूदा हार्डवेयर सीमाएं – बाजार में मौजूद डिवाइसेज और राउटर इस स्पीड को सपोर्ट नहीं कर पाते।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड – भले ही यह तकनीक मौजूदा फाइबर केबल्स से काम कर सकती है, लेकिन बड़े पैमाने पर उसे लागू करने के लिए केबल नेटवर्क को अपग्रेड करना जरूरी होगा।
पिछला रिकॉर्ड भी जापान के ही नाम
गौरतलब है कि इससे पहले मार्च 2024 में जापान ने ही 402 टेराबिट्स प्रति सेकेंड (50,250 Gbps) की स्पीड हासिल की थी। वह रिकॉर्ड भी स्टैंडर्ड फाइबर केबल्स के माध्यम से बना था।
📌 निष्कर्ष:
जापान की यह उपलब्धि दुनिया भर में इंटरनेट टेक्नोलॉजी के भविष्य की एक झलक देती है। आने वाले वर्षों में यह टेक्नोलॉजी अगर आम उपभोक्ताओं तक पहुंचती है, तो डेटा ट्रांसफर, क्लाउड कंप्यूटिंग, और स्ट्रीमिंग जैसी सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव तय है।