गयाजी: प्राचीन भारतीय शास्त्रीय संगीत के संरक्षण, संवर्धन और प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित सुर सलिला गया जी ट्रस्ट ने विगत कई वर्षों की भांति इस वर्ष भी सात दिवसीय शास्त्रीय संगीत कार्यशाला का आयोजन किया। 16 जून से 22 जून तक स्थानीय सिजुआर भवन में आयोजित इस कार्यशाला का निर्देशन भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने वाले पद्मभूषण पंडित साजन मिश्रा ने किया।
कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों से आए कला प्रशिक्षणार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और शास्त्रीय संगीत की बारीकियों को सीखने का दुर्लभ अवसर प्राप्त किया। समापन के अवसर पर गया घराने के संस्थापक स्वर्गीय सोनी सिंह की स्मृति में “राग मल्हार” सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पद्मभूषण पंडित साजन मिश्रा सहित अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा स्वर्गीय सोनी सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। ट्रस्ट के सचिव राजेश्वर सिंह ने पंडित साजन मिश्रा को पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया, जबकि अन्य कलाकारों का सम्मान ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पद्मभूषण पंडित साजन मिश्रा सहित अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा स्वर्गीय सोनी सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। ट्रस्ट के सचिव राजेश्वर सिंह ने पंडित साजन मिश्रा को पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया, जबकि अन्य कलाकारों का सम्मान ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा किया गया।

सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ गया घराने के सुप्रसिद्ध गायक पंडित राजन सिजुआर की राग मल्हार पर आधारित मधुर प्रस्तुति से हुआ। उनकी गायकी को राजेश कुमार मिश्र (तबला), धर्मनाथ मिश्र (हारमोनियम), विनायक सहाय (सारंगी) और कौशल कुमार (तानपुरा) ने अपनी संगत से और निखारा।
कार्यक्रम का समापन पंडित साजन मिश्रा की राग मल्हार पर आधारित ऐतिहासिक और भावपूर्ण प्रस्तुति के साथ हुआ, जिसने उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों और श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। उनकी प्रस्तुति में पंडित राजेश कुमार मिश्र (तबला), पंडित धर्मनाथ मिश्र (हारमोनियम), विनायक सहाय (सारंगी) और डॉ. प्रवीण (तानपुरा) की संगत ने चार चांद लगाए।
सुर सलिला गया जी ट्रस्ट का यह आयोजन न केवल शास्त्रीय संगीत के प्रति नई पीढ़ी में रुचि जगाने में सफल रहा, बल्कि गया घराने की समृद्ध परंपरा को जीवंत रखने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। यह कार्यशाला और सांस्कृतिक संध्या भारतीय शास्त्रीय संगीत की गौरवशाली विरासत को संजोने और उसे विश्व पटल पर ले जाने के ट्रस्ट के संकल्प को दर्शाता है।