धनतेरस से दिवाली तक: जानें पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त और माता लक्ष्मी की महिमा

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दीपावली का पर्व न केवल रोशनी का त्योहार है, बल्कि यह धन, समृद्धि और सौभाग्य की कामना का भी प्रतीक है। धनतेरस से लेकर बड़ी दिवाली तक, हर दिन की अपनी विशेषता और पूजा की विधि होती है। इस पूरे पर्व के केंद्र में होती हैं माता लक्ष्मी, जिन्हें धन की देवी माना जाता है। आइए जानते हैं इस पर्व की प्रमुख विशेषताएं और पूजा का शुभ मुहूर्त।

धनतेरस: नए की शुरुआत का दिन

धनतेरस दीपावली के पांच दिवसीय पर्व का पहला दिन है। इस दिन को समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए खास माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इसी दिन सोने, चांदी या बर्तन खरीदने की परंपरा है, जो समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।

पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

धनतेरस के दिन शाम को लक्ष्मी, गणेश और धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इस दिन यमराज के लिए भी दीप जलाने का रिवाज है, ताकि परिवार पर आने वाली किसी भी संकट से बचा जा सके।

पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 6:17 बजे से रात 8:12 बजे तक।

नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): अंधकार से प्रकाश की ओर

छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहा जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण के नरकासुर वध की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। घरों में विशेष स्नान कर सजने-संवरने की परंपरा है, जिससे रूप और सौंदर्य की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

इस दिन भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही घर के मुख्य दरवाजे पर तेल का दीपक जलाकर उसे रात भर जलने देना चाहिए।

पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 5:25 बजे से 6:15 बजे तक।

बड़ी दिवाली: लक्ष्मी पूजन का महापर्व

दीपावली का मुख्य दिन माता लक्ष्मी की पूजा का है। इसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और व्यवसायिक स्थानों को दीपों और रंगोली से सजाते हैं। लक्ष्मी पूजन में मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन-कुबेर की पूजा होती है। इस पूजा के जरिए भक्त अपने जीवन में धन, वैभव और सुख की प्राप्ति की कामना करते हैं।

पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

शाम के समय माता लक्ष्मी और गणेश जी का विधिवत पूजन किया जाता है। दीपक जलाकर घर के हर कोने को रौशन किया जाता है। पूजा की थाली में कमल का फूल, चावल, गुलाल, मिठाई और धन के प्रतीक के रूप में चांदी के सिक्के रखें जाते हैं।

पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 6:10 बजे से रात 8:24 बजे तक।

माता लक्ष्मी की महिमा

माता लक्ष्मी की महिमा अनंत है। उन्हें सभी प्रकार के धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। दीपावली की रात उन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष रूप से पूजा की जाती है, क्योंकि इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो उनके स्वागत में सज-धज कर तैयार रहते हैं, उन पर माता की विशेष कृपा बरसती है। उनका आशीर्वाद जीवन में स्थाई समृद्धि और सौभाग्य लाता है। इस पूजा के माध्यम से हर व्यक्ति माता लक्ष्मी से जीवन में सुख, शांति और संपन्नता की कामना करता है।

गोवर्धन पूजा और भाई दूज: भाई-बहन के रिश्ते की मिठास

दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और भाई दूज मनाई जाती है। गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र देव के प्रकोप से गोकुलवासियों को बचाने की कथा से जुड़ी है। भाई दूज के दिन भाई-बहन के रिश्ते की मिठास को और गहरा किया जाता है।

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