गया: बिहार की पवित्र भूमि बोधगया ने आज एक ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ विश्व पटल पर अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत की अमिट छाप छोड़ी। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल महाबोधि मंदिर के प्रांगण में विश्व का सबसे बड़ा सिंगिंग बाउल समूह प्रदर्शन आयोजित कर बिहार ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज कराया। इस गौरवपूर्ण अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र ग्रहण किया, जिसने न केवल बिहारवासियों बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण रचा।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समरसता का अनूठा आयोजन

बिहार स्टेट स्पोर्ट्स अथॉरिटी के नेतृत्व में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम का उद्देश्य बिहार की उस प्राचीन विरासत को वैश्विक मंच पर उजागर करना था, जहां से बौद्ध धर्म सहित कई आध्यात्मिक परंपराओं का उदय हुआ। महाबोधि मंदिर, जहां भगवान बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, उसकी पवित्र छांव में 375 भिक्षुओं ने एक साथ सिंगिंग बाउल बजाकर और बुद्ध मंत्रों का सामूहिक गायन कर एक अद्भुत समरसता का प्रदर्शन किया। इस आयोजन में 5 वर्षीय बाल भिक्षु से लेकर 70 वर्षीय वृद्ध भिक्षु तक शामिल हुए, जिनके सुरों ने वातावरण को दिव्यता और शांति से सराबोर कर दिया।
यह पहला अवसर था जब महाबोधि मंदिर, जो पिछले दो हजार वर्षों से आध्यात्मिक चेतना का केंद्र रहा है, इतने विशाल सांगीतिक आयोजन का साक्षी बना। सिंगिंग बाउल की मधुर ध्वनियों और मंत्रों की गूंज ने न केवल उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध किया, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक समृद्धि को विश्व के सामने प्रस्तुत किया।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
इस ऐतिहासिक आयोजन में कई गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की। बिहार स्टेट स्पोर्ट्स अथॉरिटी के डीजी सह सीईओ रवींद्रन शंकरण (आईपीएस), बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति की सचिव डॉ. महाश्वेता महारथी, मुख्य भिक्षु भिक्षु चालिंदा, भिक्षु दीनानंद, भिक्षु मनोज सहित विभिन्न बौद्ध मठों के वरिष्ठ भिक्षु उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को और गरिमामय बनाया।
प्रशासन और सुरक्षा की सराहनीय भूमिका
आयोजन की सफलता में गया जिला प्रशासन और पुलिस की भूमिका अहम रही। डीएएम डॉ. त्यागराजन के कुशल नेतृत्व में सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए, जिससे इतने बड़े पैमाने का आयोजन निर्बाध रूप से संपन्न हो सका।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की पुष्टि
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के आधिकारिक निर्णायक ऋषि नाथ ने इस रिकॉर्ड की पुष्टि करते हुए कहा, “सभी प्रतिभागियों ने समरसता, एकाग्रता और निरंतरता के कठिन मानकों का उत्कृष्ट रूप से पालन किया। यह न केवल एक विश्व रिकॉर्ड है, बल्कि पहली बार यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल महाबोधि मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ है।” इस उपलब्धि ने बोधगया को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई।
बिहार की सांस्कृतिक विरासत का उत्सव
यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड केवल एक उपलब्धि नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का वैश्विक उत्सव है। बोधगया, जो विश्व शांति और ज्ञान का प्रतीक है, ने इस आयोजन के माध्यम से एक बार फिर अपनी महत्ता सिद्ध की। सिंगिंग बाउल की ध्वनियों और बुद्ध मंत्रों की गूंज ने न केवल बिहार की सांस्कृतिक समृद्धि को प्रदर्शित किया, बल्कि सामूहिक एकता और शांति का संदेश भी विश्व भर में प्रसारित किया।
वैश्विक मंच पर बिहार का गौरव
यह ऐतिहासिक क्षण बिहार के लिए गर्व का विषय है। महाबोधि मंदिर की पवित्रता, भिक्षुओं की साधना और सामूहिक प्रयासों ने बिहार को वैश्विक मंच पर एक नई ऊंचाई प्रदान की है। यह उपलब्धि बिहारवासियों के लिए न केवल गर्व का क्षण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि बिहार अपनी प्राचीन विरासत को आधुनिक संदर्भ में जीवंत रखने में सक्षम है।