✍️ दीपक कुमार
टनकुप्पा। गया जिले के टनकुप्पा प्रखंड अंतर्गत उच्च विद्यालय गजाधर में मंगलवार को एक भावनात्मक और ऐतिहासिक पल साक्षी बना, जब प्रभारी प्रधानाध्यापक राकेश कुमार के स्थानांतरण पर आयोजित विदाई समारोह में शिक्षक, छात्र और ग्रामीण भावनाओं से सराबोर हो उठे। 12 वर्षों तक विद्यालय की सेवा करने वाले इस समर्पित शिक्षक को विदा करते समय माहौल भावुकता से भर गया। उनकी विदाई किसी शिक्षक की नहीं, बल्कि एक अभिभावक, मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत की विदाई जैसी प्रतीत हुई।
विद्यालय को संवारा, अनुशासन को सहेजा
राकेश कुमार ने वर्ष 2013 में उच्च विद्यालय गजाधर में योगदान दिया था। अपने कार्यकाल में उन्होंने शैक्षणिक स्तर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके प्रयासों से विद्यालय में छात्र उपस्थिति में वृद्धि, परीक्षा परिणामों में सुधार और अनुशासनात्मक माहौल में सकारात्मक बदलाव स्पष्ट रूप से देखा गया। छात्रों में पढ़ाई के प्रति रुचि और जागरूकता बढ़ाने में उनकी भूमिका अविस्मरणीय रही।
भावुक हुआ समारोह, नम हुईं आंखें

कार्यक्रम की अध्यक्षता वर्तमान प्रधानाध्यापक जितेन्द्र कुमार और वरिष्ठ शिक्षक अरविंद कुमार ने की। उन्होंने कहा, “राकेश कुमार का शिक्षण कार्य, आचरण और अनुशासनप्रियता सभी शिक्षकों के लिए प्रेरणा हैं। उनके जाने से विद्यालय में एक शून्यता उत्पन्न होगी जिसे भर पाना कठिन होगा।”
विद्यार्थियों ने स्वागत गीत और विदाई प्रस्तुति के जरिए उन्हें शुभकामनाएं दीं। जैसे ही राकेश कुमार ने मंच से अपने अंतिम संबोधन में कहा “यह विद्यालय मेरे लिए महज कार्यस्थल नहीं, बल्कि एक परिवार था। यहाँ बिताए हर पल मेरी स्मृति का हिस्सा रहेंगे।” सभागार में सन्नाटा छा गया और कई आंखें अश्रुपूरित हो उठीं।
सम्मान और स्नेह से किया विदा

कार्यक्रम का संचालन शिक्षक राजेश कुमार ने प्रभावी ढंग से किया। समारोह में ग्राम पंचायत मुखिया प्रभात रंजन, समाजसेवी नंदू कुमार, शिक्षक बच्चू कुमार , उदय पासवान, रात्रि प्रहरी रश्मि कुमारी सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की। सभी ने राकेश कुमार के शैक्षणिक योगदान की सराहना करते हुए उन्हें भावभीनी विदाई दी। विद्यालय परिवार की ओर से उन्हें स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र, और पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस समारोह ने यह साबित कर दिया कि एक सच्चे शिक्षक का स्थान केवल पाठशाला तक सीमित नहीं होता, वह अपने व्यक्तित्व से पूरे समाज को प्रेरित करता है। राकेश कुमार ने इसी आदर्श को जिया और अपने पीछे एक सशक्त और अनुशासित शैक्षणिक विरासत छोड़कर गए हैं।