गया। शुक्रवार को जिला परिषद की सामान्य बैठक उस समय गरमा गई, जब बिजली विभाग के एक जूनियर इंजीनियर द्वारा रिश्वत से जुड़ी टिप्पणी की गई। बैठक में जहां पेयजल, नलजल, स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क जैसी मूलभूत समस्याओं को लेकर जनप्रतिनिधियों ने विभागीय अधिकारियों से तीखे सवाल किए, वहीं अधिकारियों की अनुपस्थिति और जवाबदेही की कमी ने बैठक को और भी अधिक तनावपूर्ण बना दिया।
श्रद्धांजलि से शुरू, विवाद से गरमाई बैठक
बैठक की शुरुआत अहमदाबाद विमान हादसे में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट के मौन से हुई। इसके बाद एजेंडे पर विभिन्न जनहित से जुड़े विषयों पर चर्चा शुरू हुई।
परंतु जैसे ही बिजली विभाग के इंजीनियर ने यह टिप्पणी कर दी कि “घूस लेना और देना दोनों ही अपराध हैं”, तो कई जिला पार्षद भड़क उठे। जनप्रतिनिधियों ने तीखा पलटवार करते हुए कहा कि जब महीनों तक फाइलें अटकती रहती हैं, अफसर फोन नहीं उठाते, और जनता की सुनवाई नहीं होती, तो लोग मजबूरी में रास्ता निकालते हैं। इस बयान से सदन में हंगामा हो गया, जिसे डीडीसी के हस्तक्षेप से शांत कराया गया और इंजीनियर को सदन से बाहर भेज दिया गया।
अफसरों की गैरमौजूदगी से गुस्साए प्रतिनिधि
बैठक की अध्यक्षता जिप अध्यक्ष नैना कुमारी और उपाध्यक्ष शीतल यादव ने की, जबकि संचालन डीडीसी ने किया। कई सदस्यों ने विभागीय अधिकारियों की अनुपस्थिति और उनकी जगह “जानकारी से अनभिज्ञ प्रतिनिधियों” के आने पर कड़ी नाराजगी जताई। सदस्यों ने इसे जनप्रतिनिधियों का अपमान करार देते हुए कहा कि ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
योजनाएं ठप, वादे अधूरे
बैठक में उठे प्रमुख मुद्दों में नल-जल योजनाओं के अधूरे कार्य, बिजली कनेक्शन में देरी, अस्पतालों में डॉक्टरों की अनुपलब्धता, और विद्यालयों की जर्जर स्थिति शामिल थे। सदस्यों ने आरोप लगाया कि हर बैठक में केवल आश्वासन दिए जाते हैं, परंतु न टेंडर निकलते हैं, न काम शुरू होता है।
मार्केट कॉम्प्लेक्स को लेकर भी प्रस्ताव पारित
बैठक के दौरान जिला परिषद मार्केट कॉम्प्लेक्स की बंदोबस्ती से जुड़ा प्रस्ताव भी पारित किया गया। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि कुछ प्रमुख समस्याओं पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
अध्यक्ष नैना कुमारी ने कहा कि “बैठक में उठाए गए सभी मुद्दे गंभीर हैं, जिनपर त्वरित निर्णय लिए जाएंगे।” वहीं उपाध्यक्ष शीतल यादव ने बैठक को सार्थक और उद्देश्यपूर्ण बताया।