औरंगाबाद : बहुप्रतीक्षित उत्तर कोयल नहर परियोजना को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। इस परियोजना से बिहार और झारखंड के करीब 50 लाख किसान लाभान्वित होंगे। शुक्रवार को औरंगाबाद के पूर्व सांसद ने प्रेस वार्ता कर जानकारी दी कि डूब क्षेत्र के सात गांवों के 780 किसानों को दोबारा मुआवजा देने का निर्णय लिया गया है। प्रत्येक परिवार को 15 लाख रुपये और एक एकड़ जमीन दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि यह परियोजना 1975 में स्वीकृत हुई थी लेकिन सरकारों की उदासीनता के कारण अधूरी रह गई। 2009 में दोबारा सांसद बनने के बाद उन्होंने इसे लेकर प्रधानमंत्री, पर्यावरण मंत्री और संबंधित विभागों से कई बार मुलाकात की। लेकिन राजनीतिक और पर्यावरणीय अड़चनों के कारण कोई समाधान नहीं निकल सका।
2014 में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद योजना को लेकर गंभीरता दिखाई गई। प्रभावित जिलों के सांसदों की टोली बनाकर प्रधानमंत्री से लगातार संवाद हुआ। इसके परिणामस्वरूप 2017 में 1622 करोड़ रुपये, फिर 2456 करोड़ और अंततः 4078 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।
सबसे बड़ा निर्णय यह हुआ कि एक ही भूमि के लिए किसानों को दोबारा मुआवजा दिया जाएगा, जो परंपरागत नीति के खिलाफ था। लेकिन किसानों के हित को देखते हुए यह ऐतिहासिक कदम उठाया गया।
पूर्व सांसद ने वर्तमान सांसद पर तंज कसते हुए कहा, “गलत श्रेय लेने के लिए भी समझदारी चाहिए। पारियोंजाना का इतिहास सबको पता है। अगर कोई कहे कि पोखरण परीक्षण उसी ने कराया था, तो वह मजाक का पात्र बन जाएगा।”
यह योजना औरंगाबाद, पलामू, गढ़वा और गया जिलों के किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है। विस्थापन पूरा होते ही डैम पर गेट लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।