गुवाहाटी: केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 175वीं वाहिनी ने असम के रानी, कामरूप स्थित अपने मुख्यालय में शौर्य दिवस का आयोजन पूरे उत्साह और गौरव के साथ किया। इस अवसर पर वाहिनी के कमांडेंट राजीव कुमार झा ने क्वार्टर गार्ड पर सलामी दी और शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम के दौरान आयोजित सैनिक सम्मेलन में कमांडेंट झा ने उपस्थित अधिकारियों और जवानों को संबोधित करते हुए 9 अप्रैल 1965 की ऐतिहासिक घटना का स्मरण किया। उन्होंने बताया कि इसी दिन कच्छ के रण में सरदार और टोंक पोस्ट पर तैनात सीआरपीएफ की एक छोटी टुकड़ी ने पाकिस्तानी सेना की एक ब्रिगेड के अचानक हमले को अदम्य साहस और वीरता के साथ विफल किया था। 12 घंटे तक चले इस युद्ध में जवानों ने दुश्मन को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया, जो सीआरपीएफ के शौर्य और बलिदान का प्रतीक बन गया।

कमांडेंट ने गर्व के साथ कहा, “सीआरपीएफ विश्व का सबसे बड़ा अर्द्धसैनिक बल है, जो देश की आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से निपटने में अग्रणी भूमिका निभाता है।” इस अवसर पर वाहिनी के क्षेत्राधिकार में शहीद हुए जवानों की वीर माताओं, वीर नारियों, उनके बच्चों और विशेष उपलब्धियां हासिल करने वाले कार्मिकों को सम्मानित किया गया।
शौर्य दिवस के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें जवानों और उनके परिवारों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसके साथ ही सभी मेसों में सामूहिक भोज का आयोजन हुआ, जिसने इस अवसर को और भी यादगार बना दिया।
कार्यक्रम में कमांडेंट राजीव कुमार झा के साथ उनकी पत्नी मेधा झा, द्वितीय कमान अधिकारी मुकुंद मोहन, उप कमांडेंट रवि कुमार श्रीवास्तव, अलका मिश्रा सहित वाहिनी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, अधीनस्थ अधिकारी और जवान उपस्थित रहे। यह आयोजन न केवल सीआरपीएफ के गौरवमयी इतिहास को याद करने का अवसर था, बल्कि जवानों के अटूट समर्पण और साहस को सम्मानित करने का भी एक मंच बना।