गया जी की पावन भूमि, जो सांस्कृतिक चेतना और संगीत साधना का केंद्र रही है, एक बार फिर सुरों की अलौकिक यात्रा की साक्षी बनी। सुर सलिला गया जी ट्रस्ट द्वारा चांदचौरा स्थित सिजुआर भवन में आयोजित सात दिवसीय शास्त्रीय संगीत कार्यशाला का शुभारंभ पद्मभूषण पंडित साजन मिश्र ने दीप प्रज्वलन कर किया।
उद्घाटन सत्र में बोलते हुए पंडित मिश्र ने भावुक स्वर में कहा,
“गया जी की मिट्टी में संगीत कण-कण में रचा-बसा है। यहां आकर संगीत सेवा में योगदान देना मेरे लिए गर्व और सौभाग्य की बात है। पंडित राजन सिजुआर जैसी विभूतियां इस अमूल्य विरासत को संजोए रखने में अद्वितीय योगदान दे रही हैं।”
इस अवसर पर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाते हुए मंच पर संरक्षक राय मदन किशोर, संयोजक पंडित राजन सिजुआर, अध्यक्ष प्रो. के.के. नारायण, सचिव राजेश्वर सिंह, कैप्टन जीवेश्वर सिंह और प्रिंसी डायर की उपस्थिति रही। ट्रस्ट की ओर से पंडित साजन मिश्र को पुष्पगुच्छ और शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए अध्यक्ष प्रो. के.के. नारायण ने गया की गौरवशाली संगीत परंपरा और सांस्कृतिक चेतना पर विस्तार से प्रकाश डाला। वहीं सचिव राजेश्वर सिंह ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कार्यशाला को आगे और भी व्यापक स्तर पर आयोजित करने की बात कही।
कार्यशाला के संयोजक एवं गया घराने के प्रतिष्ठित संगीतज्ञ पंडित राजन सिजुआर ने कहा,
“यह हम गया वासियों का सौभाग्य है कि गुरुदेव पंडित साजन मिश्र वर्ष दर वर्ष यहां आकर शास्त्रीय संगीत की बारीकियों का प्रशिक्षण देकर नई पीढ़ी को संगीत साधक बना रहे हैं। यह न सिर्फ एक प्रशिक्षण है, बल्कि भारतीय संगीत संस्कृति को जीवित रखने की साधना है।”
कार्यक्रम की शुरुआत ओंकार की दिव्य प्रस्तुति से हुई, जिसमें पंडित साजन मिश्र ने पंडित राजन सिजुआर के साथ स्वर की गहराइयों को साधा। उनके साथ तबले पर राजेश मिश्र (वाराणसी), सारंगी पर विनायक सहाय और हारमोनियम पर रौशन कुमार ने बेहतरीन संगत दी।
देश के विभिन्न राज्यों से आए छात्र-छात्राएं, स्थानीय संगीत प्रेमी और प्रबुद्धजन इस अद्वितीय क्षण के साक्षी बने। कार्यशाला की जानकारी मीडिया प्रभारी एवं वरिष्ठ छायाकार रूपक सिन्हा ने साझा की।