बिहार के बक्सर जिले के ब्रह्मपुर प्रखंड के बराढ़ी गांव में एक प्रेरणादायक पहल सामने आई है, जहां मुस्लिम समुदाय के अरशद आलम और उनके परिवार ने छठ महापर्व के सभी धार्मिक और पारंपरिक नियमों का पालन करते हुए व्रत रखा। इस घटना ने क्षेत्र में धार्मिक सद्भाव और सामुदायिक एकता का एक अनोखा उदाहरण पेश किया है।
अरशद आलम ने लगातार चार वर्षों से छठ पूजा में भाग लेते हुए सभी आवश्यक अनुष्ठानों का पालन किया है, जिसमें खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य शामिल हैं। उनके अनुसार, छठ पर्व न केवल आस्था और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि समाज में पारिवारिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने का भी माध्यम है। इस पहल का स्वागत करते हुए गांव के स्थानीय समाजसेवी ब्रजेश तिवारी ने इसे धार्मिक सौहार्द का एक आदर्श उदाहरण बताया और कहा कि इसने गांव में भाईचारे का माहौल और भी मजबूत किया है।
बराढ़ी गांव में अरशद और उनके परिवार की इस पहल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक परंपराएं और आस्था जाति-धर्म की सीमाओं को पार कर समाज में एकता का संदेश देती हैं। इस घटना ने छठ पर्व को सामाजिक समरसता और सहिष्णुता का प्रतीक बनाकर क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है।