गया। किताबों की उम्र में उसने हथियार थामे, जंगल को घर बना लिया, बारूद से दोस्ती कर ली। लेकिन अब उसी नक्सली अखिलेश सिंह भोक्ता ने मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। बिहार सरकार द्वारा तीन लाख के इनामी घोषित इस नक्सली ने गुरुवार को गया के एसएसपी आनंद कुमार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। उसके पास से एक सेमी-ऑटोमैटिक राइफल बरामद हुई, और उसके खुलासे के आधार पर पुलिस को छकरबंधा जंगल से 60 जिंदा IED मिले जिन्हें सुरक्षाबलों ने मौके पर ही नष्ट कर दिया।
एक दशक तक रहा जंगल का खूंखार कमांडर
महज 14 वर्ष की उम्र में नक्सल संगठन से जुड़ने वाला अखिलेश, जल्द ही मगध जोन में सब-जोनल कमांडर बन गया। उसने गया, औरंगाबाद और मदनपुर के घने जंगलों में संगठन की कमान संभाली और कई बड़े माओवादी ऑपरेशन को अंजाम दिया। पुलिस के अनुसार, वह 17 से अधिक गंभीर मामलों में वांछित था जिनमें हत्या, पुलिस पर हमला, विस्फोट और देशविरोधी गतिविधियां शामिल हैं।
प्रमुख घटनाएं जिनमें अखिलेश शामिल रहा:
वर्ष | थाना क्षेत्र | घटना |
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2017 | आमस | सोलर प्लांट को आग के हवाले किया |
2018 | देव | युवक की हत्या, सात वाहनों को जलाया |
2019 | लुटुआ | IED विस्फोट में अवर निरीक्षक शहीद |
2019 | देव | मुठभेड़ में तीन नक्सली ढेर, हथियार बरामद |
2021 | डुमरिया | चार ग्रामीणों की फांसी देकर हत्या |
2025 | छकरबंधा | सत्येन्द्र सिंह भोक्ता की गोली मारकर हत्या |
60 जिंदा IED बरामद: CRPF और SSB की मदद से किया गया नष्ट
सरेंडर के बाद अखिलेश ने बताया कि उसने जंगल और पहाड़ियों के रास्तों में IED प्लांट किए थे। उसकी निशानदेही पर छकरबंधा जंगल से 60 जिंदा विस्फोटक बरामद हुए, जिनका कुल वजन लगभग 1 किलो था। सुरक्षा बलों ने समय रहते इन्हें नष्ट कर बड़ी घटना को टाल दिया।
इन थाना क्षेत्रों में दर्ज हैं गंभीर मुकदमे
अखिलेश पर हत्या, विस्फोट, देशद्रोह, आर्म्स एक्ट, SC/ST एक्ट और UAPA जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं। प्रमुख प्राथमिकी इस प्रकार हैं:
- आमस: 196/17
- लुटुआ: 01/19
- डुमरिया: 07/19, 66/20, 72/21
- देव: 95/19, 155/18
- मदनपुर: 315/22, 369/22, 442/22, 64/23, 365/23
- अम्बा: 68/19
- छकरबंधा: 19/23, 06/25
- लल्थ: 24/24
अब मिलेगा पुनर्वास का लाभ
बिहार सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत अखिलेश को योजना के अनुसार सहायता मिलेगी। फिलहाल उससे पूछताछ जारी है। पुलिस यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि कहीं और विस्फोटक या हथियार तो नहीं छुपाए गए हैं।
गया पुलिस की रणनीति से माओवादियों की कमर टूटी
गया के एसएसपी आनंद कुमार ने बताया कि बीते महीनों में लगातार छापेमारी, दबिश और रणनीतिक दबाव के चलते नक्सली संगठनों की गतिविधियों पर करारा प्रहार हुआ है। कई नक्सली या तो मारे गए हैं या सरेंडर कर चुके हैं। अखिलेश का आत्मसमर्पण संगठन की रीढ़ तोड़ने जैसा है।