रिपोर्ट: First Voice News डेस्क |
सिद्धार्थनगर जिले के चार दोस्तों की एक भीषण सड़क हादसे में मौत ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया है। ये सभी दोस्त न सिर्फ साथ पढ़े-लिखे और बड़े हुए थे, बल्कि जीवन की अंतिम यात्रा भी एक साथ ही तय कर गए।
घटना रविवार देर शाम कुशीनगर जिले में नेशनल हाईवे पर हुई, जब चारों दोस्त झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैजनाथ धाम और बिहार के थावे दुर्गा मंदिर से दर्शन कर लौट रहे थे। पटहेरवा थाना क्षेत्र में तेज रफ्तार से आ रही इनकी अर्टिगा कार अचानक अनियंत्रित होकर सामने से आ रही एक ट्रैक्टर-ट्रॉली में जा भिड़ी। हादसा इतना भीषण था कि कार के परखच्चे उड़ गए और चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। दो अन्य घायल हैं, जिनका इलाज चल रहा है।

चार दोस्तों की एक साथ अंत्येष्टि, गांव में पसरा मातम
दुर्घटना में जान गंवाने वाले चारों युवक—सुजीत जयसवाल (VDO), रामकरण गुप्ता (कानूनगो), कैलाश मणि तिवारी (प्रधान व शिक्षक) और मनोज सिंह—आपस में बचपन के साथी थे। सभी की पार्थिव देह रविवार देर रात उनके पैतृक गांव लायी गई। गांव में जैसे ही शव पहुंचे, माहौल गमगीन हो गया। परिजन बेसुध हो गए, रिश्तेदारों और ग्रामीणों की आंखें भी छलक पड़ीं।
रातभर शवों को गांव में रखा गया। शोक में डूबे परिजन और ग्रामीण पूरी रात साथ रहे। सुबह होते ही चारों दोस्तों की अंत्येष्टि अलग-अलग घाटों पर की गई। सुजीत जयसवाल का अंतिम संस्कार नौगढ़ पुल घाट, कैलाश तिवारी और रामकरण गुप्ता का ककरही घाट तथा मनोज सिंह का अंतिम संस्कार फूलपुर स्थित उनके गांव में किया गया।
सिर्फ दोस्ती नहीं, एक-दूसरे के जीवन का हिस्सा थे ये चारों
मृतक चारों युवक अलग-अलग गांवों के रहने वाले थे, लेकिन उनका साथ बचपन से रहा। सिद्धार्थनगर जिले के भीमापार, मधुकरपुर और फूलपुर के रहने वाले ये सभी न केवल स्कूल के दिनों से साथ थे, बल्कि सरकारी नौकरी की राह भी उन्होंने एक-दूसरे के साथ ही तय की थी।
हर सावन में ये चारों मिलकर बाबा बैजनाथ धाम कांवड़ यात्रा पर जाया करते थे। इस बार की यात्रा भी खास थी—रामकरण गुप्ता ने अपने प्रमोशन की कामना की थी। लेकिन किसे पता था कि यह उनकी आखिरी यात्रा साबित होगी। यह श्रद्धा की नहीं, अब स्मृति की यात्रा बन गई।
परिजनों की आंखों में बसा दर्द, बयां कर गईं खामोशियां
रामकरण गुप्ता की बेटी खुशी अपने पिता की पार्थिव देह को बार-बार देखने की ज़िद करती रही, वहीं बेटे रो-रोकर उन्हें आवाज लगाते रहे। सुजीत के बच्चों की सिसकियां पूरे गांव में गूंजती रहीं। उनकी पत्नी शव देखते ही बेहोश हो गईं। कैलाश मणि तिवारी के परिजन इतना स्तब्ध थे कि कुछ कह भी नहीं सके। उनके चेहरे की खामोशी ही उनके अंदर के तूफान को बयां कर रही थी।
शोक में डूबा सिद्धार्थनगर, प्रशासन से लेकर ग्रामीण तक स्तब्ध
जिन लोगों ने इन चारों को जिम्मेदारी के साथ अपने पदों पर काम करते देखा था, उनके लिए यह खबर असहनीय थी। मिठवल ब्लॉक से लेकर शोहरतगढ़, फूलपुर और नगर क्षेत्र तक शोक की लहर दौड़ गई। सोमवार को जब चारों की शव यात्रा निकली, तो पूरा गांव एक साथ उनके पीछे चल पड़ा। यह सिर्फ एक अंत्येष्टि नहीं थी, यह चार समर्पित दोस्तों की साझा विदाई थी।