गया, फर्स्ट वॉयस न्यूज: सात साल तक चले एक हाई-प्रोफाइल मामले में जहानाबाद के सांसद सुरेंद्र यादव को बड़ी राहत मिली है। गया की एडीजे-6 कोर्ट ने 2018 के चर्चित रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने के मामले में सुरेंद्र यादव और अन्य आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले। इस फैसले ने न केवल कानूनी हलकों में चर्चा बटोरी है, बल्कि पीड़िता की निजता से जुड़े संवेदनशील मुद्दों को भी फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
घटना 14 जून 2018 की है, जब गया जिले के गुरारू प्रखंड के सोनडीहा गांव के पास एक ग्रामीण चिकित्सक अपनी पत्नी और नाबालिग बेटी के साथ बाइक से घर लौट रहे थे। रास्ते में कुछ असामाजिक तत्वों ने उनकी पत्नी के साथ सामूहिक दुष्कर्म और बेटी के साथ छेड़खानी की। इस जघन्य अपराध ने पूरे बिहार में आक्रोश की लहर दौड़ा दी थी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अगले ही दिन छह संदिग्धों को हिरासत में लिया और उनकी परेड भी कराई।
क्या था पूरा मामला?

घटना 14 जून 2018 की है, जब गया जिले के गुरारू प्रखंड के सोनडीहा गांव के पास एक ग्रामीण चिकित्सक अपनी पत्नी और नाबालिग बेटी के साथ बाइक से घर लौट रहे थे। रास्ते में कुछ असामाजिक तत्वों ने उनकी पत्नी के साथ सामूहिक दुष्कर्म और बेटी के साथ छेड़खानी की। इस जघन्य अपराध ने पूरे बिहार में आक्रोश की लहर दौड़ा दी थी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अगले ही दिन छह संदिग्धों को हिरासत में लिया और उनकी परेड भी कराई।
इसी बीच, तत्कालीन बेलागंज विधायक और वर्तमान जहानाबाद सांसद सुरेंद्र यादव अपने सहयोगियों के साथ पीड़िता और उनकी बेटी से मिलने मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे। आरोप था कि उन्होंने मीडिया के सामने पीड़िता की पहचान उजागर कर दी, जिससे उनकी निजता का हनन हुआ। तत्कालीन एसएसपी राजीव मिश्रा के निर्देश पर सुरेंद्र यादव और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
लंबे समय तक चले इस मुकदमे में छह गवाहों की गवाही हुई। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता रजनीश सिंह ने मजबूती से पैरवी की। उन्होंने कोर्ट में तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर दलील दी कि सुरेंद्र यादव के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं। एडीजे-6 की अदालत ने सभी पहलुओं का गहन विश्लेषण करने के बाद सुरेंद्र यादव और अन्य को बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले ने साफ किया कि पीड़िता की पहचान उजागर करने के आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं थे।
सात साल की कानूनी लड़ाई का अंत
लंबे समय तक चले इस मुकदमे में छह गवाहों की गवाही हुई। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता रजनीश सिंह ने मजबूती से पैरवी की। उन्होंने कोर्ट में तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर दलील दी कि सुरेंद्र यादव के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं। एडीजे-6 की अदालत ने सभी पहलुओं का गहन विश्लेषण करने के बाद सुरेंद्र यादव और अन्य को बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले ने साफ किया कि पीड़िता की पहचान उजागर करने के आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं थे।
सुरेंद्र यादव ने जताया न्यायपालिका पर भरोसा
फैसले के बाद सांसद सुरेंद्र यादव ने न्यायपालिका के प्रति आभार जताते हुए कहा, “न्याय की जीत हुई है। मैं शुरू से निर्दोष था और कोर्ट ने सच्चाई को सामने लाया।” उनके अधिवक्ता रजनीश सिंह ने भी इस फैसले को एक निष्पक्ष और तथ्यपरक निर्णय बताया।
निजता का मुद्दा फिर चर्चा में
यह मामला एक बार फिर रेप पीड़ितों की निजता और उनकी पहचान की सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों को सामने लाया है। यह समाज और मीडिया के लिए भी एक सबक है कि ऐसी घटनाओं में पीड़ितों की गरिमा और गोपनीयता का सम्मान करना कितना जरूरी है।