औरंगाबाद के बंगरे गांव का बेटा बना देशभक्ति की मिसाल
औरंगाबाद: एक तरफ घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं, दूसरी ओर देश ने पुकारा—और जवान ने बिना पल भर की देरी किए अपना फर्ज निभाने का फैसला किया। औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड स्थित बंगरे गांव निवासी विजय कुमार ने ऐसा साहसी और प्रेरणादायक निर्णय लेकर पूरे गांव और क्षेत्र का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया।
बीएसएफ (BSF) में तैनात विजय कुमार इन दिनों राजस्थान के सतराना बॉर्डर पर पोस्टेड हैं, जो पाकिस्तान सीमा से सटा अत्यंत संवेदनशील इलाका है। वे 14 अप्रैल को एक माह की छुट्टी पर अपने गांव आए थे। 15 मई को उनकी ड्यूटी पर वापसी तय थी, लेकिन नियति ने कुछ और ही तय कर रखा था।
छेका (सगाई) के बीच आया आदेश

10 मई की दोपहर विजय के घर छेका की रस्म चल रही थी।सगाई की रस्में चल ही रही थीं कि अचानक विजय को कंपनी से कॉल आया—उन्हें तुरंत ड्यूटी जॉइन करने का आदेश मिला। यह सुनते ही घर में सन्नाटा पसर गया, लेकिन विजय ने बिना किसी हिचक के तुरंत निर्णय लिया।
वर्दी में विदाई, गांव की आंखें नम
विजय ने सबके सामने अपनी बात रखी, और फिर छेका की अधूरी रस्में छोड़ वर्दी पहनने चले गए। जब वे वर्दी पहनकर बाहर निकले तो घर में भावुक माहौल था। माता-पिता ने आशीर्वाद दिया, आंखों में आंसू थे लेकिन दिल में फक्र भी। दोपहर ढाई बजे उन्हें ट्रेन पकड़नी थी, पूरे गांव ने उन्हें भावभीनी विदाई दी।
गांव के लोग विजय को स्टेशन तक छोड़ने पहुंचे। विदाई के समय उनके पिता जनेश्वर मेहता, भाई संजय मेहता, अजय मेहता, पूर्व विधायक प्रत्याशी संतोष कुशवाहा, पूर्व मुखिया प्रतिनिधि कौशल किशोर मेहता सहित कई ग्रामीण मौजूद थे।
जिम्मेदारी पहले, जश्न बाद में
विजय ने ड्यूटी स्थल पहुंचकर देश सेवा में फिर से खुद को समर्पित कर दिया। बातचीत में उन्होंने कहा, “युद्ध की स्थिति अब सामान्य है, लेकिन आतंकियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। हम सभी जवान हर समय सतर्क रहते हैं।”
गर्व की बात है
बंगरे गांव का यह बेटा आज युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है। जिस वक्त हर कोई अपने जीवन के खास पलों को जीने की चाह रखता है, विजय ने राष्ट्र सेवा को प्राथमिकता दी। उनका यह साहसी और निष्ठावान निर्णय बताता है कि असली हीरो वही हैं, जो अपने कर्तव्य को सर्वोपरि मानते हैं।
— मगध लाइव