औरंगाबाद। भारतमाला परियोजना के तहत बन रहे वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों में भारी आक्रोश है। इसी क्रम में औरंगाबाद जिले के कुटुंबा अंचल कार्यालय के समक्ष किसानों ने भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले एकदिवसीय धरना दिया।
धरने में औरंगाबाद, कुटुंबा, बेल बीघा, पचमो समेत आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। किसानों का आरोप है कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में मुआवजे का निर्धारण अन्यायपूर्ण तरीके से किया जा रहा है। कुछ गांवों को ज्यादा मुआवजा मिल रहा है, जबकि अन्य प्रभावित गांवों के किसानों को मात्र ₹8000 प्रति डिसमिल की दर से भुगतान किया जा रहा है।
भ्रष्टाचार और भेदभाव के आरोप
धरने का नेतृत्व कर रहे जिला संयोजक वशिष्ठ प्रसाद सिंह ने आरोप लगाया कि बिना समुचित मुआवजा दिए ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है, जो पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि भूमि सुधार विभाग द्वारा सात श्रेणियों में पुनर्मूल्यांकन के आदेश के बावजूद जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
पचमो के किसान रवि दुबे ने बताया कि भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना 2022 में जारी हुई थी, लेकिन मुआवजा भुगतान 2025 में शुरू किया गया, वह भी 2012 के सर्किल रेट के आधार पर, जो किसानों के साथ स्पष्ट धोखा है।
“सरकारी दफ्तर में बिना पैसे के नहीं होता काम”
भूतपूर्व सैनिक नरेंद्र राय ने अंचल कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर कटाक्ष किया—”बिहार में सरकारी कर्मचारी काम न करने की तनख्वाह लेते हैं और काम करने की रिश्वत।”
बेल बीघा के गुप्तेश्वर यादव ने बताया कि उनकी व्यवसायिक और आवासीय भूमि को ‘भीठ’ (कम मूल्य वाली जमीन) मानकर बहुत ही कम मुआवजा दिया गया है, जिससे परिवार की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है।
भारतीय किसान यूनियन के कोषाध्यक्ष राजकुमार सिंह ने कहा कि सरकार यदि उद्योगपतियों के हजारों करोड़ के कर्ज माफ कर सकती है, तो किसानों को न्याय क्यों नहीं मिल सकता? अगर हालात नहीं बदले, तो किसान सड़क पर उतरकर आंदोलन तेज करेंगे।
धरने में शामिल प्रमुख किसान:
कमला प्रसाद (अध्यक्षता), राजकुमार सिंह (संचालन), वशिष्ठ प्रसाद सिंह (नेतृत्व), अरविंद सिंह, अनिल सिंह, भोला पांडेय, विजेंद्र मेहता, अभिजीत सिंह (पैक्स अध्यक्ष), चंदन तिवारी, राम अवध तिवारी, चंद्र मोहन तिवारी, बबन पांडेय, विक्की कुमार, अभय सिंह और जगत सिंह समेत सैकड़ों किसानों ने एक स्वर में भूमि अधिग्रहण को अवैध और मनमाना बताया।