डुमरिया संवाददाता: गया जिले के डुमरिया में बिजली संकट ने आम जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। उपभोक्ता नियमित रूप से बिजली बिल चुका रहे हैं, लेकिन उन्हें 24 घंटे में मुश्किल से कुछ घंटे ही बिजली नसीब हो रही है। लो वोल्टेज, अनियमित आपूर्ति और घंटों की कटौती ने लोगों को बेहाल कर रखा है।
भीषण गर्मी और उमस में रातें काटना मुश्किल हो गया है। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, कारोबारी वर्ग अपने व्यवसाय को सुचारू रूप से नहीं चला पा रहे, और आम नागरिक रातें जागकर बिताने को मजबूर हैं।
सरकार की ओर से 125 मेगावाट निःशुल्क बिजली देने की घोषणा के बाद उम्मीद जगी थी, लेकिन स्थानीय स्तर पर बिजली कटौती और बढ़ गई। लोगों का कहना है कि बिजली विभाग की लापरवाही और जवाबदेही की कमी के कारण स्थिति लगातार बिगड़ रही है।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि बिजली कब आएगी और कब चली जाएगी, इसका कोई शेड्यूल नहीं है। इससे न केवल घरों में रहने वाले लोग परेशान हैं, बल्कि छोटे कारोबारी और दुकानदारों की आय भी प्रभावित हो रही है।
कभी भी जा सकती है बिजली, आने का नहीं कोई ठिकाना
स्थानीय निवासी बताते हैं कि बिजली कब आएगी और कब चली जाएगी, इसका कोई शेड्यूल नहीं है। इससे न केवल घरों में रहने वाले लोग परेशान हैं, बल्कि छोटे कारोबारी और दुकानदारों की आय भी प्रभावित हो रही है।
“रात भर अंधेरे में नींद नहीं आती, और मच्छरों का प्रकोप जानलेवा बन चुका है,” — यह कहना है गली नंबर चार की निवासी मनीषा भारती का। उनका कहना है कि न तो मोबाइल चार्ज हो पाता है, न ही रसोई में मिक्सर या फ्रिज जैसे उपकरण चल पाते हैं।
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही वर्षा कुमारी बताती हैं कि बिजली न होने के कारण रात में पढ़ाई करना मुश्किल हो गया है। “गर्मी और अंधेरे में दिमाग काम नहीं करता, परीक्षा सिर पर है और तैयारी अधूरी रह जा रही है,” उन्होंने कहा।
स्थानीय लोग बिजली विभाग से बार-बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है। बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर नज़र रखने वाले अधिकारी मौन हैं, और कर्मियों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही। जनता अब आंदोलन की तैयारी में है। लोगों का कहना है कि यदि जल्द बिजली आपूर्ति व्यवस्था नहीं सुधरी, तो वे प्रदर्शन का रास्ता अपनाएंगे।
स्थानीय प्रशासन और विभाग मौन
स्थानीय लोग बिजली विभाग से बार-बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है। बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर नज़र रखने वाले अधिकारी मौन हैं, और कर्मियों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही। जनता अब आंदोलन की तैयारी में है। लोगों का कहना है कि यदि जल्द बिजली आपूर्ति व्यवस्था नहीं सुधरी, तो वे प्रदर्शन का रास्ता अपनाएंगे।