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आईआईएम बोधगया का ‘राइज़’ कार्यक्रम बना सामाजिक बदलाव की मिसाल, 13 राज्यों में पहुंची छात्रों की पहल

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बोधगया। सामाजिक जिम्मेदारी को शिक्षा के केंद्र में रखकर भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) बोधगया ने अपने राइज़ (RISE – Rural Immersion for Social Engagement) कार्यक्रम के माध्यम से सामुदायिक सहभागिता को नई दिशा दी है। संस्थान के इंटीग्रेटेड प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (आईपीएम) के 145 छात्रों ने इस वर्ष देश के 13 राज्यों में 20 अग्रणी सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर विकास कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाई।

img 20250617 wa00294017937733591387751 आईआईएम बोधगया का ‘राइज़’ कार्यक्रम बना सामाजिक बदलाव की मिसाल, 13 राज्यों में पहुंची छात्रों की पहल

बिहार की धरती से शुरू हुई यह पहल आज देशव्यापी सामाजिक प्रभाव की मिसाल बन चुकी है। छात्रों ने उत्तर प्रदेश के आकांक्षी जिलों से लेकर तेलंगाना के नल्लामाला जंगलों में स्थित आदिवासी बस्तियों तक शिक्षा, स्वच्छता, स्वच्छ ऊर्जा, आजीविका और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में वास्तविक चुनौतियों का सामना करते हुए समाधान तलाशे।

कार्यक्रम की प्रभावशीलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि टाटा ट्रस्ट्स (CINI), भारती एयरटेल फाउंडेशन, पीरामल फाउंडेशन, बीएआईएफ, टाटा स्टील फाउंडेशन और रामकी फाउंडेशन जैसे प्रतिष्ठित संगठनों ने इसमें साझेदारी की। इन साझेदारियों के माध्यम से छात्रों को ग्रामीण स्कूलों का ऑडिट, स्वास्थ्य सर्वेक्षण, महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित व्यवसायों के डिजिटलीकरण में सहयोग और सुदूर क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल किया गया।

img 20250617 wa00266033958025433021827 आईआईएम बोधगया का ‘राइज़’ कार्यक्रम बना सामाजिक बदलाव की मिसाल, 13 राज्यों में पहुंची छात्रों की पहल

आईआईएम बोधगया ने अपने आस-पास के पांच गोद लिए गांवों—महुदर, बापूनगर, तुरी खुर्द, तुरी बुजुर्ग और रामपुर—में भी अपनी गहरी भागीदारी बनाए रखी। यहां आधारभूत सामाजिक सर्वेक्षण, किशोरियों के लिए मासिक धर्म स्वास्थ्य अभियान, विद्यालयों का मूल्यांकन और जीविका एवं ग्लैड भारत फाउंडेशन के सहयोग से “स्पर्श” और “हैप्पी पीरियड्स” जैसी पहलें चलाई गईं, जो स्थानीय समुदाय की मूलभूत जरूरतों से जुड़ी हैं।

राइज़ अब केवल एक शिक्षण कार्यक्रम नहीं, बल्कि संवेदनशील नेतृत्व को आकार देने वाला एक मंच बन चुका है। यह उस सोच को दर्शाता है जहाँ शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न रहकर, समाज के प्रति उत्तरदायित्व निभाने का जरिया बनती है।

आईआईएम बोधगया के निदेशक प्रो. विनीत कुमार का मानना है, “हमारा उद्देश्य ऐसे प्रबंधक तैयार करना है जो न केवल दक्ष हों, बल्कि संवेदनशील और सामाजिक बदलाव के लिए प्रेरित भी हों। राइज़ उसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।”

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