पटना, बिहार: राज्य में साइबर अपराधियों का आतंक तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब आम जनता ही नहीं, जनप्रतिनिधि भी इनकी चपेट में आने लगे हैं। राजधानी पटना से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के विधान पार्षद मोहम्मद शोएब को साइबर ठगों ने 14 घंटे तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा।
वीडियो कॉल कर बनाया शिकार
घटना 8 अप्रैल की बताई जा रही है। सुबह करीब 10:30 बजे मोहम्मद शोएब को एक अनजान नंबर से वीडियो कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम से केनरा बैंक, मुंबई में एक संदिग्ध खाता पाया गया है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत दर्ज है। इसी बहाने से अपराधियों ने उनकी बैंक डिटेल्स, कैश, गोल्ड और अन्य संपत्तियों की जानकारी ली। इतना ही नहीं, एक कागज पर हस्ताक्षर भी मंगवा लिए गए।
धमकी देकर डराया गया
साइबर अपराधियों ने वीडियो कॉल के जरिए मोहम्मद शोएब को यह कहकर डराया कि उनके आसपास मौजूद लोग उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए किसी से संपर्क नहीं करें और हर निर्देश का पालन करें। डरे-सहमे एमएलसी ने पूरे दिन किसी को कुछ नहीं बताया और रात 12 बजे तक अपराधियों के निर्देशों का पालन करते रहे।
संदेह हुआ तो खुली सच्चाई
रात में जब शक गहराया तो मोहम्मद शोएब ने राज्य की साइबर सेल से संपर्क किया। तब जाकर उन्हें पता चला कि वह एक सुनियोजित साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने तत्काल पटना साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई। फिलहाल, पुलिस दो मोबाइल नंबरों की जांच कर रही है, जिनसे कॉल आया था।
क्या होता है ‘डिजिटल अरेस्ट’?
डिजिटल अरेस्ट एक नई किस्म की साइबर ठगी है, जिसमें अपराधी खुद को वरिष्ठ पुलिस अधिकारी या सरकारी अफसर बताकर वीडियो कॉल के जरिए डराते हैं और घंटों तक व्यक्ति को फोन पर बांधकर रखते हैं। इस दौरान वे पीड़ित की निजी और वित्तीय जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं। बिहार में पिछले कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। पटना साइबर थाना प्रभारी डीएसपी राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया, “इस मामले में कोई वित्तीय नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन यह साइबर अपराध की एक गंभीर घटना है। जांच जारी है और जल्द ही दोषियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।”